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Brijlala Rohanअन्वेषी

Romance Action Fantasy

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Brijlala Rohanअन्वेषी

Romance Action Fantasy

गर प्रेमपूर्वक संग जीना पाप है तो

गर प्रेमपूर्वक संग जीना पाप है तो

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जब हम एक- दूसरे के साथ अपनी जिंदगी जीने

मतलबी दुनिया से कोसों दूर कहीं अपने आशियां में चले जाएंगे,

तब दुनिया शायद सोती होगी !

लेकिन उसकी जीभ जागती होगी।

आखिर ये दुनिया कब किसी प्रेमी जोड़े को चैन से जीने दी है ?

किसी दो दिलों की धड़कन की खुशी कब इसे हजम हुई है?

इसे कहाँ प्रेम की भाषा अभी तक समझ आई है ?

हमपर निंदा की बौछारें होंगी ,

मान- मर्यादा को धूमिल कर देने वालों में हमारी गिनती होगी।

लोग हमें नापाक इरादों से ऐसी बद- दुआ देंगे जैसे हमने कोई बहुत बड़ा पाप कर दिया हो !

अरे ! हमने प्रेम पूर्वक एक- दूसरे के साथ जीना ही तो स्वीकारा है।

एक - दूसरे का अंतिम साँस तक साथ निभाना ही तो स्वीकारा है।

भला प्रेम पूर्वक संग जीना भी पाप ही है क्या ?

अगर दुनिया इसे पाप मानती है तो हम ये पाप करने को तैयार हैं।

गर प्रेम पूर्वक जीना पाप है तो --

साथ ही इसके अंजाम भुगतने को भी हम तैयार हैं।

सिवाय उस पाप के जिसमें लोग निज हित साधने के लिए दूसरे का इस्तेमाल करते हैं ,

क्या उस पाप से भी ये बड़ा है ?



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