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Dinesh Uniyal

Abstract Fantasy

4.3  

Dinesh Uniyal

Abstract Fantasy

गमे जिंदगी

गमे जिंदगी

1 min
52


ख्वाहिश थी कभी चांद को,

पाने की जब मेरी

अब उस चांद से भी,

दूर मुझको हो जाने दो


मेरी आंखों में एक पल तो,

देखो अपनी खूबसूरती को

आहों को मेरे दिल से,

यूं ही निकल जाने दो


मेरे दिल का एक टुकड़ा,

था जो तुम्हारे पास

गिर कर उसे बिखरकर,

यूं ही टूट जाने दो


जिस जिंदगी को छोड़कर,

जा रहा हूं मैं यहां

इस जिंदगी को अब,

मेरे बर्बाद रहने दो


किस्मत बस यहीं तक,

तेरे साथ थी मेरी

अब मेरे जीवन की सांसों को

 यहीं छूट जाने दो।


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