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Dinesh Uniyal

Fantasy Children

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Dinesh Uniyal

Fantasy Children

तितली

तितली

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बन के तितली उडूं जहां में

इधर-उधर मंडराऊं

फूलों का रस लेकर अपनी

सारी प्यास बुझाऊं

रंग अनोखा देख कर अपना

मन ही मन इतराऊं

बच्चों के संग खेल खेल के

बहुत खुश हो जाऊँ

प्रकृति से प्यार करूँ मैं

इसमें ही खो जाऊँ


   


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