सपना
सपना
मन कहता कब होंगे पूरे
मेरे सपनों की आवाज है
जाने कब मिलेगा मुझको
सपनों का ना आगाज है
सपनों को सुनकर मेरे तो
सारी दुनिया हंसती है
कुछ ना कर पाएगा मुझको
ताने देती रहती है
सहारा नहीं मिला था मुझको
फिर भी चलता रहता हूं
कभी यहां तो कभी वहां
हरदम गिरता रहता हूं
सब बढ़ जाते है आगे मुझसे
अब तक हूं मैं वहीं खड़ा
सोच - सोच कर सर पर मेरे
कितना सारा बोझ पड़ा
सपनों को पूरा करने की
इतनी तो हिम्मत दे दो
रूठना ना तुम मुझसे भगवन
बस इतनी कृपा कर दो।