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Dinesh Uniyal

Fantasy Children

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Dinesh Uniyal

Fantasy Children

खिलौना

खिलौना

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खिलौना


खिलौना जो कभी जिंदा था

अब बेजान सा वह पड़ा है


चाबी भरते ही नाच पड़ता था कभी

आज एक कोने में वो यूंही खड़ा है


चाह थी उसे नीचे ना रख्खूं कभी

आज हाथ लगाने से भी डरा है


रोया करता था जिसकी खातिर कभी

आज उसे देख क्यों मन इतना चिड़ा है


वक्त बहुत बड़ा है दोस्तों

वक्त के साथ खिलौने बदल जाते हैं

कल जो हमारे जी बहलाते थे

आज वही हमारे दिल दहलाते हैं


यही हाल जिंदगी का आज हो रहा है

कभी हम जिंदगी यूं ही जिया करते थे

आज उसी जिंदगी पर यह हाले दिल मरा है।


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