कोरोना एक वैंपायर
कोरोना एक वैंपायर
शैतानी साये में
इस तरह जी रहे हैं हम
घर से बाहर निकलने पर भी
अब तो लगता है ये डर
छः महीनों से उसका भय
हैं पूरे विश्व में छाया
जो अब तक कितनों को
इन छः महीनों में खाया
जान तो कई लिया उसने
और अर्थव्यवस्था भी गिराया
आगे बढ़ने वाले अब तो
ठहर गए हैं ऐसे
पीछे से वैंपायर आकर
चिपक गया हो जैसे
एक से बीस बीस से चालीस
चालीस से फिर दो सौ
अपनी नसल बढ़ा रहा है
अनगिनत से फिर ऐसे
यह कोरोना क्या
किसी वैंपायर से कम है
देखो इस आदमखोर को
कितना इस में दम है