'ग़म है'
'ग़म है'
जुबान खामोश और आँखें नम हैं
तुम्हें कैसे बताये कितने दर्द में हम हैं..
जहाँ देखो वहां खुशियो कि सौगात दिखाई देती है
एक हम बदनसीब हैं जिसके हिस्से में इतने ग़म हैं..
बेशक ले इम्तिहान मेरी सच्ची मोहब्बत का तू
बेइंतहा चाहेंगे तुझे जब तक दम है..
बहुत रुलायेगी मुझे हकीकत उस बेवफा कि
खुश हूं मैं जब तक ये ब्रह्म है..
हकीकत में नहीं मिलता वो इसपे गिला क्या करें 'आयुष'
ख्वाबों में आता है ये क्या कम है..