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sonu santosh bhatt

Romance Classics

4  

sonu santosh bhatt

Romance Classics

गलतफहमियां

गलतफहमियां

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गलतफहमियां बहुत थी दिल मे,

अब उसका मुस्कराकर देखना ही देख लो।

ऐसा लगता है जैसे….सबसे बड़ी गलतफहमी है मेरी,

लेकिन जब वो पलके झुकाकर शरमाती है,

लगता है वही आसमा वही जमीं है मेरी।


यूँ तो कभी उसने कुछ कहा नहीं।

और मैं भी उसे बिना देखे कभी रहा नहीं।

वो भी तड़पती होगी देखने को मुझे।

ऐसा लगता है जैसे….सबसे बड़ी गलतफहमी है मेरी,

मैं भी चुप हूँ,कभी कुछ नहीं बोला।


ये शायद मेरे संस्कार नहीं, कमी है मेरी

मुझको देखकर, उसके अचानक भावो का बदल जाना।

इसको भी मैंने, उसका मेरे लिए हसीं इशारा माना।

वो भी चाहती थी कुछ कहना,

कुछ सुनना चाहती है मुझसे भी,

ऐसा लगता है जैसे….सबसे बड़ी गलतफहमी है मेरी,

मेरी उम्मीदें अब जानती सच्चाई

और आशाएं सहमी सहमी है मेरी।


उसकी आवाज सूनना पसंद था मुझे

जो लफ्ज वो किसी और के लिए बोलती थी।

मुझे लगता था मुझे सुनाने की कोशिश की थी उसने

ऐसा लगता है जैसे….सबसे बड़ी गलतफहमी है मेरी,

गलतफहमी का राज खुला ही है अभी

धड़कनें मानो थमी थमी है मेरी।

ऐसा लगता है जैसे….सबसे बड़ी गलतफहमी है मेरी।


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