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ग्लोबल वार्मिंग

ग्लोबल वार्मिंग

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सम्मेलन फिर चल पड़ा,

मौसम बदलने का,

धरती के तापमान को

कम करने का !

कार्बन के उत्सर्जन पर

अंकुश लगाना है ।!

अपनी धरा को

संतुलित बनाना है ,

सब अपनी-अपनी बातें

लोगों को बताते हैं

और दोष एक दूसरे पर लगाते हैं !!

विकसित देशों का

विकासशील देशों से

छिड़ गयी जंग ,

कैसे निभेगा इनका यह संग ?

बातें वही फिर दुहरायी जाएंगी !

हमने चर्चा की ,

चिंघाड़ा ,......चिल्लाया

अपनी बातें लोगों को सुनाया !

अपनी उपलब्धियों का

पैतरा सबको दिखाया !!

पर इस नोटंकी से

बात नहीं बनती है !

चाहत , ...लगन ...और..... धैर्ज से

मंजिल मिल जाती है ।!

है किसे चिंता विनाशलीला की ?

हम बोलते हैं बहुत

करते बहुत हैं कम।

पहले तो ये सबको

भरमा चुके हैं !

अब विश्व को झूठे

सपने दिखा रहे है !!



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