गज़ल
गज़ल
जाने क्या बात है जो इस तरह सताती है।
तू सनम मुझको याद, याद बहुत आती है।
अदा से चलना मुस्कुरा के मेरे पास आना।
तेरी सांसों से मेरी सांसों को महका जाना।
तेरी आंखों की मय से चाल बहक जाती है।
तू सनम मुझको याद, याद बहुत आती है।
आज भी फिर हंसी मंजर बड़ा सुहाना है।
एक जो तू नहीं तो लगता सभी बीराना है।
दिल के मंदिर में तू मूरत सी नजर आती है।
तू सनम मुझको याद, याद बहुत आती है।