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Sandeep kumar Tiwari

Classics

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Sandeep kumar Tiwari

Classics

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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ग़ज़ल 


हमने  देखे  हैं  कई रंग ज़माने वाले 

हसती आँखों को, कई 'ख़्वाब' दिखाने वाले

 

सबकी दामन को कभी वो खुशियाँ भी देते

अपनी आँखों से कभी 'खून' बहाने वाले


हमसे पूछो ना कभी रात कहाँ काटी है 

कुछ तो हैं वो जो मुझे 'दिल' को लगाने वाले 


हम भी शामिल हैं उसी ही दुनिया में लोगों 

जिस में लाखों चोर हैं 'साध' कहाने वाले


अबके सावन में कहीं बाढ नहीं आ जाये

बढ़ते हैं अब लोग भी 'अश्क' बहाने वाले।


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