गजल
गजल
दिल में बन उठे दर्द की दवा चाहिए,
भर दे धोखे का जख्म ऐसी वफा चाहिए।
मेहनत करना आदत में शामिल नहीं है,
बिना मेहनत व्यापार में नफा चाहिए।
जो खुदगर्ज बन के घूमते हैं हर वक्त,
उन्हें भी दोस्त ना खफा चाहिए।
जनाब खुद की किस्मत बिगाड़ बैठे हैं,
फिर भी इन्हें मौका कई दफा चाहिए।
उड़ान भरकर मंजिल पाने की भी चाहत है,
लेकिन रास्ता इन्हें मुश्किलों से रफा चाहिए।
