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Dr.SAGHEER AHMAD SIDDIQUI

Romance

4.0  

Dr.SAGHEER AHMAD SIDDIQUI

Romance

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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या खुदा वह असर हो मेरी आह में।

प्यार जिसको करूं हो मेरी बांह में।


छीन सकता नहीं मुझसे कोई तुझे।

इस तरह से है शिद्दत मेरी चाह में।


सगीर इश्क क्या है यह महसूस हो,

चल के देखो कभी तुम मेरी राह में।


अमीरी के दरख़्तों से जब पत्ते टूट जाते हैं।

नए रिश्तों के खातिर जब पुराने छूट जाते हैं।


निभाते थे सगीर रिश्ते वही सब भूल बैठे हैं।

गरीबी में बहुत मजबूत रिश्ते टूट जाते हैं।


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