ग़ज़ल
ग़ज़ल
वो मुझ से दूर हो रही है
जाने वो क्या क्या जान रही है
वो सारे सवाल का जवाब भी क्या होगा
जो यह सारी दुनिया ढूंढ रही है
मैं हर बार चिल्लाता रहा
उसे यह एहसास भी नहीं
मैं अब तक उसे पढ़ नहीं पाया
और वो मेरी सारी नज्में पढ़ रही है
वो एक शिक्षिका बनी हस रही है
सवाल पर सवाल कर रही है
मैं पूछता हूं जो तुम हंस रही हो
यही हंसी एक सवाल पैदा कर रही है।

