ग़ज़ल
ग़ज़ल
हमारी तस्वीर बना तो ली
पर तुम रंग भरना भूल गए
हम तो बेरंग-ए-शख्स नहीं है
शायद तुम ही हंसना भूल गए
जिस बात से बात बन सकती थीं
तुम वहीं बात बताना भूल गए
बज़्म में तेरी चांद का चर्चा रहा
और तुम चांद को ही बुलाना भूल गए
उस शाम ही तर्क-ए-तालुकात हुए
वो जिस शाम तुम वादा निभाना भूल गए।