गज़ल
गज़ल
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
एक नज़र ने किया बर्बाद, वो नशा है तेरी आंखों में
जितना ढूंढा खुद को और डूब गए तेरी आंखों में।
नहीं कोई जानता मुझे इस शहर में बेगाना हूं मैं
जिसने भी देखा मुझे बस देखा तेरी आंखों में।
क्यूँ करते हो नक़ाब कभी तो बेनकाब रहा करो
ना झुकाओ पलकें खुद को देखना है तेरी आंखों में।
तरसते रहे हम तेरे लबों से इकरारे -मोहब्बत के लिए
हम बेखबर रहे देख ना पाए हकीक़त तेरी आंखों में।
रकी़बों पर लूटा रहे हो तुम वो प्यार अपना
जो * प्रेम* को देखने की चाह थी तेरी आंखों में।