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Savita Gupta

Romance

4  

Savita Gupta

Romance

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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सुरमयी रंग हैं या अगन का नशा

अजनबी संग हैं या छुअन का नशा।


रूठ गए क्यों नज़ारे,वक्त से फ़िज़ा 

रख जला कर दिलों में हुस्न का नशा।

 

वो कमल गुलशनों से चला दूर जब

ख़ाक में मिल गया है चमन का नशा।


भर गया मन जहाँ के हुस्न से अगर

तोड़ दो दिल क्यों हो मिलन का नशा।


ख़ाक में मिल गए जीस्त में डूबकर

अब कहाँ है दिलों में अमन का नशा।


सवि अमन चाहती है हमेशा यहाँ

ढूँढती है जगत में वतन का नशा।


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