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Bhoop Singh Bharti

Classics Thriller

4  

Bhoop Singh Bharti

Classics Thriller

गजल

गजल

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दुनिया  की  राहों  में, मेले ही मेले हैं।

इन मेलों में खुद को, पाते अकेले हैं।।


रिश्ते नातों के संग, रंग प्यार का जमता है,

रंग प्यार का पाने को, बड़े पापड़ बेले हैं।।


जो रहते हैं दिल में, उन्हें टूट के प्यार करो,

वही होते हैं अपने, ये रिश्ते अलबेले हैं।


खुशियों के पल-पल को, न जाया होने दो,

 बचा प्यार को दुनिया में नफरत के रेले हैं।


अंजान बने अब वो, जो जान से प्यारे थे,

हुए दूर 'भारती' वो, संग खाए खेले हैं।


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