STORYMIRROR

Sudershan kumar sharma

Romance

4  

Sudershan kumar sharma

Romance

गजल(दर्द)

गजल(दर्द)

1 min
22


मिला दर्द किसी हमसफ़र का, ता उम्र नहीं भरता, 

ना मिलता यह दर्द कभी अगर हमसफ़र कभी तन्हा नहीं होता। 


छीन जाते हैं चन्द खुशियों के लम्हे,

थोड़ी सी गलतफहमी से जिन्दगी भर जिनका जख्म नहीं भरता। 

चलता रहे, दुख सुख में एक साथ जो हमदर्द,

उसका सफर कभी तन्हा नहीं होता। 


लगती न चोट पत्थरों की उस पेड़ को अगर फलों से वो लदा नहीं होता। 

सोच, समझ कर डालो नफरतों के झंझट, न जाने किस मुसीबत में है अपना,

नहीं तो अप

नाअपनों से खफा नहीं होता। 


टल जाएँ चन्द पल अगर 

गुस्से के किसी तरह, तो दर्द ता उम्र का भी पल भर ही होता। 

चला जायेगा हरेक मुसाफिर इस दूनिया से आखिर,

कोई इस यहाँ में अमर नहीं होता। 


रह रहे हैं चैन मुहब्बत से कुछ लोग झौंपड़ीयों में भी सुदर्शन क्योंकि

चैन से रहने वालों का घर कभी पक्का नहीं होता। 

मत साँझा कर दुख तकलीफों को किसी से सुदर्शन,

दे देंगे दगा आखिर अपना सगा भी सगा नहीं होता। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance