गजानन।
गजानन।
विपदा का है समय गजानन, मेरे हृदय में आ जाओ।
कैसे इनसे छूट सकूँ प्रभु, कृपा कर बतला जाओ।।
मूढ़ मति हम कुछ न जाने,
कर्म किए हैं मनमाने।
अब तड़प रहे हैं, व्याकुल बनकर,
आया तेरे दर पर आँसू बहाने।।
जीवन नैया के तुम हो खिवैया, अब तो दर्शन दे जाओ..........
विघ्नहर्ता है नाम तुम्हारा,
सदा से ऋणी है संसार तुम्हारा।
सब वेदों के सार में तुम हो,
देवों में प्रथम नाम है तुम्हारा।।
भटक गए हैं पथ से स्वामी, धीरज हमें बंधा जाओ.......
बुद्धि, बल में तुम सा न कोई, मनोरथ सबके तुम पूर्ण करते।
इस दीन-हीन के तुम हो मालिक,
सद्बुद्धि दे सब की पीड़ा तुम हरते।।
नित चरणों में रहे ध्यान तुम्हारा, "नीरज" को समझा जाओ.........