धूल भरे हीरे
धूल भरे हीरे
अक्सर गलियारो मे हमने
हीरो को निखरते देखा है।
गाँव की सौंधी मिट्टी मे
संस्कारों को महकाते देखा है।
भोले -भाले इंसान को
पहचान बनाते देखा है।
मेहनत -हिम्मत और दृढ़ निश्चय से
किस्मत चमकते देखा है।
शहरी परिवेशो की चकाचौंध मे
कुछ धूल के चश्मे थे आँखों पर
धूल भरे हीरे ने
समाज को डाक्टर के रूप मे सेवा करके
गाँव का गौरव बढ़ाते हुए
अपने लक्ष्य के मुकाम पर जाकर दिखाया है।
गाँव की मिट्टी की खुशबू मे बचपन अपना बिताया
अपने परिश्रम ,लगन के दम पर समाज मे मान -सम्मान भी पाया।