"मां दया का सागर"
"मां दया का सागर"
एक मां होती दया का सागर है
मां बिन क्या होता कोई आगर है?
मां से ही कोई परिवार बनता है,
मां होती करुणा-वात्सल्य घर है
मां से उपजी बनती कोई भूमि,
बरसों से चाहे वो रही बंजर है
माँ ही जानती है,सबकी पीर है
मां बिन न बनती कोई तस्वीर है
एक मां होती दया का सागर है
मां सबकी खुशियों का मंजर है
हर सदस्य का वो ख्याल करती,
मां परिवार की नींव का पत्थर है
सुख-सम्पदा वहां सदा होती है,
जहां एक मां का होता आदर है
वो जगह जन्नत से भी सुंदर है
जहां बहता मां रूपी निर्झर है
अपनी मां को कितना सताते है,
कभी भी बुरा-भला कह जाते है,
मां फिर भी न कहती कटु अक्षर है
एक माँ होती दया का सागर है
उसका हृदय फूल से कोमल है,
वो सदा देती खुशियों का वर है
हम बुरे हो सकते है,वो बुरी नही,
एक मां होती करुणा की लहर है
इसका साखी सदा तू ख्याल कर,
यह खुदा से नही होती कमतर है
ईश्वर भी कहता मां को समंदर है
एक मां होती दया का सागर है
इसकी करता जो शख्स कदर है
वो पाता रब से मनवांछित वर है।