चमकता रहूं मैं
चमकता रहूं मैं
चमकता रहूं मैं चाँद की तरह
उगता रहूं मैं सूरज की तरह
मुझमें कोई भी कमी न दिखे
मिलता रहूं मैं याद की तरह
मेरे पास कुछ भी खास तो नही है
मेरी जिंदगी भी खास तो नही है
मगर मेरा दिल आईने सा साफ़ है
सबमें रहूं मैं सच की तरह
मुझे डर नही है किसी चीज का
मैं तो खिलाडी हूँ हर खेल का
प्रेम मुझमें है कूट कूट के भरा
सजता रहूं मैं एक आशिक की तरह
वक़्त से भी मुझको लड़ना है आया
जिंदगी को मैंने है मजे से गाया
शाम मेरे आशिकी हो न कभी
खिलता रहूं मैं एक फूल की तरह
चमकता रहूं मैं चाँद की तरह।