आंतरिक सुंदरता
आंतरिक सुंदरता
आंतरिक सुंदरता सही मायने में मनुष्य को मनुष्य बनाती है।
वही बाह्य सुंदरता मनुष्य में अहंकार की भावना पैदा करती है।
आंतरिक सुंदरता मनुष्यता में विनम्रता के तत्व भी भरती है।
आंतरिक सुंदरता से मनुष्य करुणामय हो जाता है।
आंतरिक सुंदरता स्वयं में दया भाव की प्रतिमा होती है
आंतरिक सुंदरता मन को पुलकित कर जाती है।
आंतरिक सुंदरता में क्षमाशीलता का भाव भी होता है।
आंतरिक सुंदरता में सदाशयता का भाव भी होता है।
आंतरिक सुंदरता ही देव देवताओं की भक्ति हमे सिखलती है
आंतरिक सुंदरता हमे विसंगति कुंठा जैसी भावना से कोसो दूर भागती है।