गिरधर गोपाल
गिरधर गोपाल
घुमाते हो गिरधर हमे भी उन्ही पर
जिन पर सदा उस चक्र को सजाया
दिखाते हो हर पल वो द्रष्टी नई सी
पड़ते ही स्वयं को निखरता सा पाया
लगता है अब तो बस यूँही लेते रहना
परीक्षा के लिए ही तुमने जीवन बनाया
परिचित कराया जिन्दगी ने खुदी से
ज़िन्दगी ने जिन्दगी को जीना सिखाया
देते रहेंगे ताउम्र ये परीक्षाएं
पाठ भी तो सफलता का तुमने पढ़ाया
मर कर रख पाए गर ज़िंदा खुदी को
तो समझेंगे ज़िन्दगी मे कुछ तो कमाया....