गिले शिकवे
गिले शिकवे
तुम्हें मेरी हर बात पे गिला है,
और मेरा खुद से शिकवों का सिलसिला है,
तुम्हें हर वक़्त मुँह माँगा मिला है,
मेरी हर ख्वाहिश खुदा से इक इल्तिज़ा है,
अफ़सोस,
तुम भी न समझ पाए,
अपने दरम्यान के फ़र्क़ की वजह,
जो तुम्हें मिला वो भी मुकद्दर से मिला है
जो मुझे मिला वो भी मुकद्दर से मिला है l