गीत नया एक लिखूंगा
गीत नया एक लिखूंगा
बांध तुझे मैं प्रेम प्रणय में गीत नया एक लिखूंगा
मुझ वीणा की तार तू ही मैं ऐसा ही कुछ लिखूंगा।।
छू कर तेरे तन-मन को मैं
रोम रोम झंकृत करूं
सप्त सुरों से स्वर बनाकर
तुझ से ही बस प्रित करूं
प्रेम के अपने पन्नों पर संगीत तुम्हें ही लिखुंगा..
बांध तुझे मैं प्रेम प्रणय में गीत नया एक लिखूंगा।।
मंत्रमुग्ध सब कलरव होंगे
छन छन सुन पाजेब पांव तेरे
डूब जाएंगे भावों के
सागर में सारे गांव तेरे
एहसासों की स्याही से हर राग तुम्हें ही लिखुंगा
बांध तुझे मैं प्रेम प्रणय में गीत नया एक लिखूंगा
मुखड़े में जानेजां तुमको
पुलकित पुष्प बनाऊंगा
अंतर के शब्दों में सजकर
भंवरा मैं बन जाऊंगा
इर्द गिर्द रहकर तेरे मैं मीत तुझे ही लिखूंगा
बांध तुझे मैं प्रेम प्रणय में गीत नया एक लिखूंगा।
