प्रेम है एक शाश्वत सत्य
प्रेम है एक शाश्वत सत्य
प्रेम को ही शाश्वत सत्य बनाओ,
अपने प्रियजन का मान बढ़ाओ !
विश्वास प्रेम पर करते ही जाओ,
प्रीति की रीति यूँ निभाते जाओ !
निश्छल प्रेम की यूँ धारा बहाओ,
नफरत की भारी दीवार गिराओ !
प्रेम में ना हो कोई आदान-प्रदान,
प्रेम ईश्वर का है अनुपम वरदान !
प्रेम है बहती गंगा की पावन धारा,
इसमें डूबकर ही मिलता किनारा !
जीवन में गर निस्वार्थ प्रेम ना होता,
तो शायद यह सुंदर संसार ना होता !
प्रेम एक अव्यक्त भावना हृदय की,
हिय हर्षित हो, देख झलक प्रिय की !
छल और कपट जब न होता मन में,
प्रेम ही धुरी बने रिश्ते के मधुबन में !
प्रेम तो है उद्गार हृदय के,
मन मयूर नाचे, प्रिय से मिल के।
इस जग में सबसे मिलकर रहना ,
द्वेष-जलन भाव मन में न रखना !
प्रीति की रीति बहुत ही सरल है,
इसमें कभी अमृत तो कभी गरल है !
प्रेम की भाषा मूक-बधिर भी जानें ,
आंखों से ही हृदय की बात पहचानें !
प्रियतम विरह की पीड़ सही न जाए,
ज्यों जल बिन मीन तड़फत रह जाए !
प्रेम तो दिल से दिल का गहरा मिलन ,
प्रफुल्ल, प्रमुदित हो जाए सारा जीवन !
