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V. Aaradhyaa

Fantasy Others

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V. Aaradhyaa

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प्रेम है एक शाश्वत सत्य

प्रेम है एक शाश्वत सत्य

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प्रेम को ही शाश्वत सत्य बनाओ,

अपने प्रियजन का मान बढ़ाओ !


विश्वास प्रेम पर करते ही जाओ,

प्रीति की रीति यूँ निभाते जाओ !


निश्छल प्रेम की यूँ धारा बहाओ,

नफरत की भारी दीवार गिराओ !


प्रेम में ना हो कोई आदान-प्रदान,

प्रेम ईश्वर का है अनुपम वरदान !


प्रेम है बहती गंगा की पावन धारा,

इसमें डूबकर ही मिलता किनारा !


जीवन में गर निस्वार्थ प्रेम ना होता,

तो शायद यह सुंदर संसार ना होता !


प्रेम एक अव्यक्त भावना हृदय की,

हिय हर्षित हो, देख झलक प्रिय की !


छल और कपट जब न होता मन में,

प्रेम ही धुरी बने रिश्ते के मधुबन में !


प्रेम तो है उद्गार हृदय के,

मन मयूर नाचे, प्रिय से मिल के।


इस जग में सबसे मिलकर रहना ,

द्वेष-जलन भाव मन में न रखना !


प्रीति की रीति बहुत ही सरल है,

इसमें कभी अमृत तो कभी गरल है !


प्रेम की भाषा मूक-बधिर भी जानें ,

आंखों से ही हृदय की बात पहचानें !


प्रियतम विरह की पीड़ सही न जाए,

ज्यों जल बिन मीन तड़फत रह जाए !


प्रेम तो दिल से दिल का गहरा मिलन ,

प्रफुल्ल, प्रमुदित हो जाए सारा जीवन !




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