चँदा मामा
चँदा मामा
चँदा मामा प्यारे मामा,
नखरा क्यूँ तुम इतना करते,
धरती से तुम रहते दूर,
एक पहर तुम सामने आते,
अगले पहर कहाँ चले जाते।
रोज़ एक काम नियम का करते,
धरती के तुम चक्कर लगाते,
इतना प्यार जब धरा से करते,
लुका-छिपी क्यों इससे खेलते।
धरती तुम्हारी बहन लाडली,
मिलोगे फिर राह ये देखती,
दिनभर ये धूप में जलती,
तुम्हारे आने की राह देखती,
साँझ पड़े जब तुम आते,
राहत की ठंडी सांस तब लेती।
क्यूँ नहीं तुम यहीं रह जाते,
अपने नगर की हमें कहानी सुनाते,
ग्रहों, सितारों की बातें सुनकर,
हम भी सपनों की दुनिया में खो जाते।
चँदा मामा जल्दी आना,
अच्छी एक बात हमें सिखलाना,
हम भी तुम्हारी तरह बन जाएँ,
अपने स्वभाव में शीतलता लाएँ।
ओके मामा, डिअर मामा,
शाम को जब तुम मिलने आना,
हमें यह बात सिखाते जाना।