खयाल की खुशबू
खयाल की खुशबू
कभी-कभी सोचूँ तो तुम मुझे
मेरे ख्याल से लगते हो
मेरी ही अपनी समझ के जैसे
जो चाहे तो सितारे भी पढ़ ले
वरना इशारे भी ना समझे
एक तरफ मेरी बातें हैं
जो तुम्हें समझ नहीं आती
और फिर खुद ही पूछ लेते हो
यह मेरे लिए लिखा है
क्या समझूं मैं इन्हें
तुम्हारी नादान समझ
या समझी हुई नादानियाँ
चलो आज एक सौदा करते हैं
यह समझने समझाने, मानने मनाने
का खेल पूरा करते हैं
कभी तुम मुझे समझ लेना
कभी मैं भी मान जाया करूंगी
कभी तुम दोस्ती थोड़ी ज्यादा कर लेना
कभी मैं प्यार थोड़ा कम कर लूंगी
चलो मैं आज एक वादा करती हूँ
हम किसी रिश्ते के दायरे में नहीं बंधेंगे
क्या तुम थोड़ी कोशिश करोगे
मुझे याद भर कर लेने की
तुम्हारी आंखों की, हंसी की, बातों की, तारीफ करने पर
हाँ मुझे पता है कहकर बात खत्म करदेना
या मेरे देखने पर कि तुम देख रहे हो,
नज़रें परे कर लेना
तुम्हें पता है कि पता नहीं क्यों
तुम्हारा यह पता होना मुझे अच्छा लगता है
कि आसपास होना तुम्हारा अच्छा लगता है
खयाल से खयालों तक का यह जो रिश्ता बना हुआ है
जरा होले होले कदम रखना कि पुल ओस का खड़ा है
न तुम सवाल बनो न जवाब मुझमें ढूंढो
बस आज से कल तक यूं ही रोज़-रोज़ झूलो
मैं जानती हूँ कि, इक एहसास भर हो तुम
बस इतना मान लो कि, एहसान न कहो