घर
घर
घर तो घर हैं....जहाँ हँसी हो
ठिठोली हो, थोड़ा झगड़ा हो,
थोड़ा रगड़ा हो, बच्चों की
मुसकुराती, खिलखिलाती
आवाज हो, उमंग हो तरंग हो,
एक-दूसरे के चाहत का रंग हो,
सुकून हो शान्ति हो, पूजा में आरती हो,
घर का कोना कोना, रूह को आराम दे,
थकान को थाम ले, मुश्किलों को बाँध ले,
आगे बढ़ने का रास्ता दे,
मंजिलों को मुकाम दे।