घर में विध्वंस
घर में विध्वंस
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करोना ने दुनिया में ही नहीं कोहराम मचाया
उसने तो मेरे घर में विध्वंस ही मचा दिया।
जैैसे ही लॉक डॉउन ने दरवाजा खटखटाया
मेरे प्रियवर की राधा ने मेरे घर का दरवाजा खटखटा दिया।
मेरे स्वामी नेे मेरे लव सील बेवफाई का नजारा दिखा दिया,
मेेेरी ही चौखट के अन्दर मेरे ही हमराज को दूजे का हमराज बना दिया ।
ये देख मेरे दिल की धडकन ने धडकना भूला दिया।
मेरे भर्तार को लॉक डॉउन ने ई-मेल के दवार करीब पहँचा दिया।
मेरे एहसास को शब्दों में पिरो उसे पहना दिया,
एक माह मेंं देेह मेरे पास और सब उसके पास पहुँँचा दिया।
एक मास के बाद दूसरे लॉक डॉउन ने एक नया नजारा दिखा दिया।
उसने इन्हें टोपी पहनाना सीखा दिया और मुझे टोपी पहना दिया।
ऑफिस की पन्द्रह प्रतिशत हाज़री को सौ प्रतिशतबना दिया।
सवेरे से शाम कभी ऑफिस कभी उसके घर का रास्ता दिखा दिया।
करोना के बाहने एक नया संसार बसा दिया।
बरसोंं की मेेरी तपस्या को धूल मेंं मिला दिया।
गठबंधन का अर्थ मुझे अच्छे से समझा दिया,
एक ऐसा बन्धन जिस मेंं कोई बंंधता नहीं ये बता दिया।
काठ की हॉन्डी-,सा पति-पत्नी का रिश्ता जला दिया।
पैैरों के नीचेे से ज़मीन खीसका मुुँँह केे बलख गिरा दिया।
दूूूरभाष का प्रयोग कर राधा के संग मेरा मज़ाक बना दिया।
अपने ही आत्मजाओं को उसकेे प्यार मेंं भूला दिया।
करोना से ज्यादा उसकी बेवफाई ने मुझे हिला दिया।
अपमान का विष पिला-पिला मुझे अर्धमरा बना दिया।
फिर खुदा ने हाथ पकड़ मायके पहुंँचा दिया।
मेेरी सुताओंं और मुझे एक ऐसेे मोड़ पर छोड़दिया,
जहाँ एक बड़ा-सा शून्य हमारे गले मेंं लटका दिया।
बरसों के समर्पण को अपनेे पैैरों तले रौंद दिया।
करोना ने मेरे घर मेंं विध्वंस मचा दिया।