घर का स्वाद
घर का स्वाद
नई पीढ़ी का यें आलस,
मचलती ज़ुबान का लालच
आबादी को ले डूबेगी एक दिन
मन लज्जतों के आशिक़ हो चले
हम ज़ुबान पर नियंत्रण खो चले
व्याधि समाज पर बोझ मढ़ेगी एक दिन
भोजन वितरण वृद्धि हो रही
food apps समृद्धि हो रही
सेहत स्तर से गिरेगी एक दिन
zepto, swiggy के मुनाफ़े,
food order में होते इजाफ़े
दुनिया बीमारी से घिरेगी एक दिन
दस मिनट में घर तक आए,
जाने कौन से तेल में पकाए
प्रतिरोधक क्षमता मरेगी एक दिन
blinkit माँ समान सगी है।
hospitals में लाइन लगी है।
तंदुरुस्ती तन से गिरेगी एक दिन
घर के खाने का स्वाद ना भाए
चलो खाना बाहर से मँगवाए
आदत ये दिल पर stunt जड़ेगी एक दिन
खाना अब मुश्किल से पकता
सुस्ती लगे आसान सा रस्ता
सात्विकता मन से फिरेगी एक दिन
घर का स्वाद बिसर चुका है।
गुणवत्ता आधार विसर चुका है।
वक़्त रहते आदते सुधार ली जाए
घर के स्वाद की पुकार की जाए
दिव्यता फिर बढ़ेगी चेहरे पर एक दिन
माँ की ममता से समृद्ध बनेगी एक दिन
भारत की क्षमता फिर बढ़ेगी एक दिन
पारुल मनचंदा
(कवि वेणु)
