Parul Manchanda

Others

4  

Parul Manchanda

Others

सुकून चाहती हूँ!

सुकून चाहती हूँ!

1 min
9


ये बाज़ारों का शोर, ये चीख पुकार

मैं फिर से कान बंद चाहती हूँ !


ये जल रहे अंगार, ये तेज़ रफ़्तार

मैं फिर से आँखें बंद चाहती हूँ !


ये तपती धूप, ये प्यास की चुभन 

मैं फिर से छाँव चाहती हूँ ।


ये नींद ना आना ये करवटे दिन रात 

मैं फिर से सुकून चाहती हूँ !


ये आँखों की नमी, ये बेबसी हर बात

मैं फिर से चाँदनी रात चाहती हूँ!


ये गिले बेबात, ये शिकवे हज़ार 

मैं फिर से आज़ाद सुख़न चाहती हूँ!


मैं जी भर जियूँ, मैं मन से मरू!

मैं उनकी ही तरह अटल चाहती हूँ!


मैं उनकी तरह अटल चाहती हूँ!

मैं उनकी ही तरह अटल चाहती हूँ!


Rate this content
Log in