STORYMIRROR

Parul Manchanda

Abstract Inspirational

4  

Parul Manchanda

Abstract Inspirational

लिखने की बात थी !

लिखने की बात थी !

1 min
3

लिखने की बात थी,

 वो दर आए कहानी सुना गए !

मैं ढूँढती रही काग़ज़- कलम,

 वो गहराई में सरलता ला गए !


मैं गढ़ती रही नक़्शे- नाबूत

 वो बोले ऐसे के दिल पे छा गए !

समंदर रचना था मुझे 

 वो लहरों को संगीत बना गए !

मैं पढ़ती रही किताबे,

 वो चेहरा पढ़ के आरज़ी बता गए !


ढूँढती हूँ कदम जिन पर,

चलकर वो कामयाबी पा गए !

अब भी ना गुज़रे सच के

रास्ते फिर ना पूछना कहाँ गए !

मंज़िल दर मंज़िल वो

अपना क़ाफ़िला बना गए !


मुश्किल है ‘अक्स’ का ठहरना,

खून अपनी पहचान बता गए !

अब क्या बहना मुश्किल में,

जो सीधे होकर सादा गा गए !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract