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Parul Manchanda

Inspirational

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Parul Manchanda

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श्रद्धा का महाकुंभ

श्रद्धा का महाकुंभ

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श्रद्धा का महाकुंभ है, सगुण भक्ति का आग़ाज़।

संस्कृति की विजय है, उपासना भूमि प्रयागराज।


विश्व के पटल पर भारत को मिला नया स्थान।

केंद्र बना महाकुंभ, विरासत को मिला सम्मान।

साधु-संत, ऋषि मुनि, त्रिवेणी में कर रहे स्नान।

उत्सुकता- कौतूहल की दृष्टि से देखता समाज।

श्रद्धा का महाकुंभ है, सगुण भक्ति का आग़ाज़।

संस्कृति की विजय है, उपासना भूमि प्रयागराज।


वामपंथी कहते थे जो भारत को बँटा हुआ।

समूचे विश्व में आज शक्ति बन के सटा हुआ।

बाल-बाल को जिज्ञासा, उत्तर में संगम रटा हुआ।

एकता के सूत्र में भारत का उद्ग़म होता जहाज़।

श्रद्धा का महाकुंभ है, सगुण भक्ति का आग़ाज़

संस्कृति की विजय है, उपासना भूमि प्रयागराज


प्रदूषित मानसिकता को मिला करारा जवाब।

धरोहर है अमूल्य, नहीं केवल काग़ज़ी किताब।

राष्ट्र स्वरूप को एकाकार करता जन-सैलाब।

विश्वगुरु रूप में उदय होता भारत स्वराज।

श्रद्धा का महाकुंभ है, सगुण भक्ति का आग़ाज़।

संस्कृति की विजय है, उपासना भूमि प्रयागराज।


प्रधानमंत्री जी के निरंतर प्रयास हो रहे सफल।

आस्था की डुबकी, त्रिवेणी का अमृत जल।

योजन-प्रयोजन पर उठते प्रश्न, हुए सभी विफल।

हर जाति धर्म वर्ग एक सुर में लगा रहा आवाज़।

श्रद्धा का महाकुंभ है, सगुण भक्ति का आग़ाज़।

संस्कृति की विजय है, उपासना भूमि प्रयागराज।



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