हम ना ठहरे
हम ना ठहरे
हरजाई सितम ढाने को ठहरे, अहबाब इल्ज़ाम लगाने को ठहरे।
हम चुप से रह गए हैरान है, रोशन ज़मीर जलाने को ठहरे।
कब तक मन में रोष सुलगाए,कब तक आग बुझाने को ठहरे ।
मन में टीस लग चुकी है, किसको क्या क्या समझाने को ठहरे।
ये आँसू, ये गम, ये नींद का ना आना, कोई नई बात तो नहीं।
यार कामयाबी की दुआ देने वाले,
इरादे मेरे झुकाने को ठहरे।
चुना सफ़र आसान थोड़े है,राह में कई काँटे बिछाने को ठहरे।
किसे कब तक पुकारे, दफ़न ख्वाहिशों पे शोक मनाने को ठहरे।
औदा बड़ा था अफ़सर का, दिखा के वर्दी हमे चौकाने को ठहरे।
कोई साहूकार दिखाए ठोर, हम भी किसी टिकाने को ठहरे।
ठहरे वो भी इस परस्ती में के आँसू कैसे मेरी आँख में ना ठहरे।
ठहराव खून में है इसीलिए हर ठोकर के बाद भी हम ना ठहरे।
