घनघोर सा अँधेरा
घनघोर सा अँधेरा
तब सर्दी भी और धुंध भी बहुत ज्यादा थी,
मैं रात को अकेले ही कहीं पर जा रहा था।
धुंध के कारण कुछ नजर नहीं आ रहा था,
चारों तरफ घने वीराने सा अँधेरा फैला था।
धुंध के कारण रास्ता भूलकर शमशान पहुँचा,
तभी किसी कब्र के खुलने की आवाज़ आई।
एक लड़की सफेद वस्त्र डालें हुए बाहर आई,
वो मेरी तरफ़ देखतें-देखतें हुए ही पास आई।
लेकिन वो बहुत सुन्दर थी चाहे बाल बिखरें थे,
अपनी नज़रें मिलाकर मुझे सम्मोहित कर दिया।
मैं उसके पीछे-पीछे चलने लगा फ़िर वो रूक गई,
उसने एक खंजर देकर मेरा गला काटने को कहा।
मैंने जैसे ही खंजर अपने गला काटने के लिए मारा,
मेरी नींद खुल गई और ये एक भयानक सपना था।
तब से कुछ दिन दरवाजों से मुझे एक भय रहता है,
जब-जब कमरे में भरने लगता है घनघोर सा अँधेरा।

