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Sandhaya Choudhury

Tragedy

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Sandhaya Choudhury

Tragedy

गहना

गहना

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आज निशा बहुत खुश थी खबर आई थी भाई और भाभी आ रहे हैं होली में इससे ज्यादा खुशी और क्या हो सकती थी ,निशा के लिए मां के मरने के बाद भाई ही तो उसे पाल पोस कर बड़ा किया था। हर छोटी बड़ी ज़िद को पूरा किया था।

निशा के लिए भाई ही मां बाप दोस्त सब था। निशा की जब शादी हो रही थी बहुत देख परख कर भाई सूरज ने उसे रवि के साथ विदा किया था सूरज ने रवि को विदाई के समय इस तरह समझाया था कि रवि भी सोच में पड़ गया था कि निशा को किस तरह रखे। लेकिन वह इतना समझ गया था कि सूरज अपनी बहन निशा को बहुत प्यार करता है। निशा को कोई दुख ना पहुंचे इसलिए उसे समझा रहा है बहरहाल होली का समय निकट आ गया था इसलिए निशा तैयारियों में इतनी जुट गई थी कि उसे अपना भी होश नहीं था जिससे परेशान होकर रवि भी कभी-कभी उसे  डांट दिया करता था, ठीक होली के 1 दिन पहले रवि एयरपोर्ट जाकर भाई और भाभी को ले आया. जैसे ही स्वागत के लिए निशा दरवाजे पर आई वह दौड़ कर भाई से लिपट जाना चाहती थी लेकिन भाई ने कोई उत्सुकता नहीं दिखाई ना ही अपने व्यवहार से ऐसा लगा कि उसे कोई बहुत ज्यादा खुशी हुई हो खैर निशा समझी कि सफर की थकान होगी। इसलिए ऐसा व्यवहार मिला। वह भाई और भाभी की सेवा में लग गई लेकिन अब भाई के व्यवहार में बहुत बदलाव आ गया था बहुत पैसे वाला हो गया था इससे भी ज्यादा भाभी के नखरे उठाते उठाते निशा काफी थक गई थी रवि चुपचाप यह सब देख रहा था समझ भी रहा था लेकिन वह निशा को नाराज नहीं करना चाहता था जो उत्सुकता निशा को भैया और भाभी के आने की थी वह काफूर हो गई थी होली बीत चुकी थी अचानक भाभी ने निशा से कहा तुम्हारी शादी में बहुत खर्च हो चुके हैं मैं अपने भाई की शादी में जा रही हूं तुम्हारे भैया मुझे गहने नहीं दे रहे हैं इसलिए तुम्हारे पास जो गहने हैं वह मुझे दे दो ताकि मैं शादी में जा सकूं । यह सुनकर निशा अवाक हो गई ।

कमरे से निकलकर जब भाई के चेहरे पर यह सुनकर कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो निशा समझ गई थी यह दुनिया मे हर रिश्ते में लेना और देना दोनों होते हैं तभी यह दुनिया चलती है निशा बोझिल कदमों से सारे गहने निकालकर रवि की सहमति पाकर खुश होकर भाभी के हाथों में सारे गहने दे दिए ।

विदा होते वक्त दोनों के चेहरे पर कोई शिकन ना थी रवि यह देख कर निशा के पास खड़े होकर आंखों से निशा की ओर देखा निशा समझ गई थी इन आंखों में निशा के लिए बस प्यार झलक रहा था।

गहने जरूर उसके पास नहीं थे लेकिन भाई ने जिस से शादी कराया था वह किसी गहने से कम नहीं था।निशा के लिए यह होली एक यादगार होली बन गई थी।



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