ग़जल
ग़जल
मेरी जिंदगी गमगीन हो गई।
दर्द से भरी तो हसीन हो गई।।
जर्द होठों पे ग़म छलकते रहे।
पर बात मेरी रंगीन हो गई।।
आँधियों ने तोड़ा नरम डाल को।
फूलों की डाली संगीन हो गई।।
दर्द ही जब बना मेरा हमसफर।
अश्क में डूबी नमकीन हो गई।।
मेरी जिंदगी गमगीन हो गई।
दर्द से भरी तो हसीन हो गई।।
जर्द होठों पे ग़म छलकते रहे।
पर बात मेरी रंगीन हो गई।।
आँधियों ने तोड़ा नरम डाल को।
फूलों की डाली संगीन हो गई।।
दर्द ही जब बना मेरा हमसफर।
अश्क में डूबी नमकीन हो गई।।