ग़जल
ग़जल
तू कब आकर मेरे दिल के जज्बात देखेगा।
तन्हाइयों से भरे मंजर के हालात देखेगा।।
बेचैन नजर तुझे ढूँढती फिरती है,
कब आकर तु बेकरारी के ख्यालात देखेगा।।
सभी से बहुत बाते कर ली तुमने,
कब आकर नजरो से नजरो का मुलाकात देखेगा।
तूझे भी है मुझसे मिलने की ख्वाहिश,
बेकरारी मे न जाने और कितनी रात देखेगा।