ग़ज़ल
ग़ज़ल
जिंदगी ग़म की परछाईं है।
दर्द जीवन की सच्चाई है।।
आकर गुजर गए कितने वसंत।
दिल में आज भी तन्हाई है।।
खुशी महज एक सन्नाटा है।
दर्द तो गूँजती शहनाई है।।
किसने समझा फूलों का दर्द।
खुशबू की हर जगह बड़ाई है।।
छेड़ना नहीं किसी के दर्द को।
हर दर्द ज़ख्म की अँगड़ाई है।।