नारी
नारी
जिंदगी के पन्नों पर नई नई जख्म सहती है नारी
मुस्कुराकर आठो पहर फ़र्ज निभाती है नारी
सभी के आशाओं को पूरा करती रहती
अपने हृदय के दर्द को कभी न कहती नारी
आँधियों के झंझावात से लड़ते रहती
बिना ऊफ किये एक नया इतिहास रचती है नारी
इसकी शक्ति के आगे हर कोई नतमस्तक होता
खिलखिलाती हंसी के पीछे जख्म छुपाती नारी।