ग़ज़ल
ग़ज़ल
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लोग कहते हैं, मैं ख्वाबो में जीती हूँ।
जिंदगी की राहों की, कड़वे घूँट पीती हूँ।।
मैंने देखे है शब्दजाल मे फसें भवरों को,
शब्दजाल के चीथड़ों को रोज मै सीती हूँ।।।
दिखावटी दुनिया के भ्रमजाल में फसें लोग।।
सत्य से साक्षात्कार की शायद रीति हूँ।।।
भ्रम है लोगो को अपने सत्य होने का,
इस दर्द की कड़ी की मैं आपबीती हूँ।।