घाघ दोस्त
घाघ दोस्त
कभी कभी दोस्त आपके ऐसे घाघ होते हैं,
साथ रहकर आपको अंदर से साफ़ कर देते हैं।
मौक़ा पाते ही मुस्कुरा कर पेट में छूरा मारते हैं,
कभी कभी दोस्त आपके ऐसे घाघ होते हैं।
आपके भीतर की प्यार से सारा हाल जान लेते हैं,
भूत-भविष्यत्-वर्तमान पूरा खंगाल देते हैं।
उनकी पूछो तो आसानी से बात टाल देते हैं,
कभी कभी दोस्त आपके ऐसे कमाल होते हैं।
जब समझ में आता है, देर तक हम रोते हैं,
विश्वास ऐसे खोता है, द्रवित ह्रदय हम होते हैं।
ऐसे दोस्त दिख जाए तो, भाग खड़े हम होते हैं,
कभी कभी दोस्त आपके ऐसे घाघ होते हैं।