फ़टी जेब
फ़टी जेब
जेब मेरी बहुत फ़टी पड़ी है
पैसे के लिये ये बहुत रो पड़ी है
हर जगह पर आज़ बहुत महंगाई है
बिना पैसे के तो नहीं आती राई है
जेब मेरी बहुत फ़टी पड़ी है
कैसे उदर पूर्ति करू
जिंदगी अभी बहुत बड़ी है
जेब जब से तू फ़टी है
कोई भी अच्छी
घटना न घटी है
तेरे सुराग से
मेरे दिल बना गरम भट्टी है
जेब मेरी बहुत फ़टी पड़ी है
यार,दोस्तो ने भी साथ छोड़ दिया
जब से पैसे की कमी क्या आई है
हर शख्स ने मुझे आंख दिखाई है
जेब मेरी बहुत फ़टी है
तब से दोस्तो की भी
कोई चिट्ठी नहीं आई है।
