एक था बिहार.....
एक था बिहार.....
आओ सुनाऊँ अपने जन्म स्थान की कुछ सुनी अनसुनी कहानी।
बुद्ध को जहाँ बुद्धि हुई ..दिया संसार को अपनी दिव्य वाणी।
चाणक्य ने जहाँ अर्थशात्र के शास्त्र को लोगों को बताई।
आर्यभट्ट ने जहाँ शून्य की खोज कर गणित की जटिलता सुलझाई।
जहाँ चन्द्रगुप्त अशोक ने भारत को संगठित कर
विश्व में गौरव बड़ाई।
इसी चम्पारण बिहार की धरती से शुरुआत
कर गाँधी जी ने आजादी की बिगुल बजाई।
इस भूमि पे हुए नील क्रांति
आज भी दे आजादी की लड़ाई की गवाही..
जहाँ मैथली महाकवि विद्यापति के छंद
आज भी मिट्टी में घोले श्रृंगार रस की चौपाई।
बिहार पुत्र भारत रत्न बिस्मिल्लाह खान का
कौन भूले वह शहनाई की तरुण अंगराई।
देश को पहले राष्ट्रपति देने वाले इसी बिहार के लाल
राजेन्द्र बाबू ने संविधान की गौरव बड़ाई।
इसी धरती पे जन्म लिए गुरु गोविन्द दिनकर जानकी माई।
ना जाने कितने अमर इतिहास लेकिन
वर्तमान में लड़ रहा अपने अंदर की लड़ाई।