एक समय ऐसा भी था
एक समय ऐसा भी था
एक समय ऐसा भी था
जब एक ही नारा लगता था
हिन्दू, मुसलिम ,सिक्ख ,इसाई
हम सब ही हैं भाई भाई
इन नेताओं ने अपने स्वार्थ में सारे नारे बदल दिये हैं
इन्सानो का नाम है बदला काम है बदला नाम है
बदला कुछ मत पूछो क्या होना है
अपने अपने स्वार्थ में सब फंसे हुए हैं
कोन है अपना कौन पराया
ये भी अब सब भूल चुके हैं
अब इसका क्या अंत है
कोई न जाने द्वारा !