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B. sadhana

Tragedy Children

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B. sadhana

Tragedy Children

एक पुकार।

एक पुकार।

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मांं ,मांं ।

मैं इस दुनिया में नहीं आना चाहती। 

इस दुनिया में मुझे खिलौना समझ कर मसल देंगे मांं।

मेरे विचार की कोई मायने नहीं है मां।

मेरे दिल की धड़कन कांप उठी मां।

मां मेरे साथ हमेशा कौन रहेगा मां।

मेरी रक्षा कौन करेगा मां।


मांं। मांं।

मैं नहीं आऊँगी मां।

जहां मेरे तन को खरोच,

हड्डियों को तोड़ ,जीभ को काट दिया जाएगा।

मेरी उम्र की कोई पवाह नहीं हैं मांं।

उन लोगों को बस अपनी प्यास बुझाना है


मांं। मांं ।

मुझे खत्म कर मांं।

ऐसे समाज का हिस्सा नहीं बनना मुझे।

जहां हर दिन मेरे बहनों पे अत्याचार हो रहा हो।


मांं। मां।

मुझे नहीं आना मां।

मुझे डर लग रहा है मां।

न जाने मेरा क्या हाल करेंगे।

मुझे नहीं आना मां।


मांं मांं

मार डाल मुझे।

तेरे कोख में।

उमसे ही मेरी भलाई है।

मुझे तू बचा नहीं पाएगी मां।

उन जानवरों से कैसे बचूंगी मैं।


मां मुझे बहुत डर लग रहा है।

पर मां जब तू रहेगी मेरे साथ तो मैं क्यों डरूंगी।

मुझे तो तेरे जैसे ताकतवर बनना है।

पर क्या मैं बन पाऊंगी।

क्या मेरे सपने पूरे होंगे।


मांं। मांं

मुझे डर लग रहा है।

मैं कैसे बचूंगी ।

मां। तू कुछ बोल क्यों नहीं रही।

मांं। मांं।

मुझे मार डाल मांं।



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