एक लड़की
एक लड़की
ऐसी जिसने किसी को टूट कर चाहा,
पर आज वो खुद टूट गयी।
चाहत और ज़रुरत में फर्क होता है,
मैं शायद उसकी जरुरत थी और
वो मेरी चाहत था।
तभी उसे आज तक मेरा वो दर्द,
मेरी वो तड़प, वो फ़िक्र,
वो चाहत कुछ नहीं दिखा।
पर मुझे आज भी उससे कोई
शिकायत नहीं,
क्यूंकि प्यार में दिया जाता है,
कभी लिया नहीं जाता !
खुशनसीब हूँ मैं, कम से कम
बुरे वक्त में उसके साथ तो थी।
आज मुझे कोई अफ़सोस नहीं की,
मैंने उसे अपना वक्त,
अपना प्यार नहीं दिया ,
इतना, कि मुझे खुद पर गर्व है ।
एक चाहने वाले को इससे बढ़कर
और किस बात कि खुशी होगी?